रायपुर: शहर के मोवा में भिक्षुक पुनर्वास केंद्र बनाया गया है, जहां भिक्षुकों को एक नया जीवन मिल रहा है। यहां पुलिस भिक्षुकों को पकड़क...
रायपुर: शहर के मोवा में भिक्षुक पुनर्वास केंद्र बनाया गया है, जहां भिक्षुकों को एक नया जीवन मिल रहा है। यहां पुलिस भिक्षुकों को पकड़कर लाती है और वहां रहकर वे अपना गुजर-बसर करते हैं। यहां एक वर्ष से लेकर 95 साल की उम्र तक के लोग रह रहे हैं। शासन की ओर से इनके जीवन-यापन के लिए एक राशि भी निर्धारित है, जो पिछले दो सालों से नहीं मिल रही है।
इस कारण पोषण पुनर्वास केंद्र चलाने वाली संस्था कर्ज लेकर संस्था को संचालित कर रही है। भिक्षुकों को आजीविका से जोड़ने के लिए मोवा स्थित भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में दोना पत्तल बनाना, अगरबत्ती, धूप बत्ती, आचार, चप्पल बनाना, मशरूम पालन इत्यादि की ट्रेनिंग दी जाती है, जो भिक्षुक प्रशिक्षण लेना चाहते हैं उन्हें ही यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं, यहां बनने वाले दोना पत्तल का यहीं उपयोग किया जाता है।
पुनर्वास केंद्र में ही मिला रोजगार पोषण
पुनर्वास केंद्र में ही कुछ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। अलिशा यादव बताती
हैं कि वह माना कैंप में रहती थी, एक दिन पुलिस उन्हें पकड़कर भिक्षुक
पुनर्वास केंद्र लेकर आई। जब अलिशा को यहां लाया गया तब वह चार माह की
गर्भवती थी। आज अलिशा अपने एक साल के बच्चे के साथ भिक्षुक पुनर्वास केंद्र
में रहती है और केयर टेकर का काम करती हैं। इस काम के लिए एनजीओ उन्हें
पैसे भी देता है। अलिशा बीते दो वर्ष से भिक्षुक पुनर्वास केंद्र मोवा में
रह रही हैं।
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