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सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट नही, देश में संविधान सर्वोच्च... सीजेआई की बड़ी टिप्पणी Featured

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट नही, देश में संविधान सर्वोच्च... सीजेआई की बड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के जज जस्टिस राजबीर सेहरावत की टिप्पणी पर सख्ती दिखाई और उसे हटाने का आदेश दिया। जज ने सुप्रीम कोर्ट पर संवैधानिक सीमाओं से बाहर जाने का आरोप लगाया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि ऐसे बयान अदालत के सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (SC) ने पंजाब ऐंड हरियाणा हाई कोर्ट (HC) के जज की एक टिप्पणी पर बुधवार को नाराजगी जताई और उसे हटाने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने गुरुग्राम की प्रॉपर्टी से जुड़े केस में की गई हाई कोर्ट की टिप्पणी का स्वतः संज्ञान लिया और टिप्पणी पर चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड ने कहा, 'टिप्पणी गैर जरूरी है। इससे कोर्ट के सम्मान को ठेस पहुंची है। न तो सुप्रीम कोर्ट और न ही हाई कोर्ट, देश में संविधान सर्वोच्च है।'

हाई कोर्ट के जज ने क्या कहा था?

हाई कोर्ट के जस्टिस राजबीर सेहरावत ने अपने एक आदेश में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट अपनी संवैधानिक सीमाओं से बाहर जा रहा है और हाई कोर्ट की शक्तियों को कम आंका जा रहा है। हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट को खुद को वास्तविकता से ज्यादा सर्वोच्च मानने की आदत हो गई है। जस्टिस राजबीर की टिप्पणी का एक विडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया। चीफ जस्टिस ने कहा, 'पक्षकार कोर्ट के फैसलों से असंतुष्ट हो सकते हैं, लेकिन जज अपने से उच्च अदालतों के फैसलों से असहमति नहीं जता सकते।' चीफ जस्टिस, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने जस्टिस राजबीर को चेतावनी दी कि आपसे उम्मीद की जाती है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर टिप्पणी करते समय संयम बरतें। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन पसंद का विषय नहीं, संवैधानिक दायित्व है। हालांकि शीर्ष अदालत ने जस्टिस राजबीर के खिलाफ अवमनना की कार्रवाई से इनकार किया।

अग्रिम बेल के बाद भी अरेस्टिंग पर मैजिस्ट्रेट और इंस्पेक्टर तलब

सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत मिलने के बाद भी एक आरोपित को गिरफ्तार करने पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कड़ा रुख अपनाया है। गुजरात में सूरत के वेसु थाने के इंस्पेक्टर और आरोपित को रिमांड पर भेजने वाले कोर्ट के जज को अवमानना का दोषी माना। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को 2 सितंबर को पेश होने का आदेश दिया है, ताकि सजा पर फैसला हो सके।

 

आरोपित के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। इस मामले में हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत नहीं मिली तो आरोपित सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 8 सितंबर को अग्रिम जमानत देकर नोटिस जारी किया था। इसके बाद भी पुलिस ने आरोपित को 12 दिसंबर को अरेस्ट किया। कोर्ट ने उसे 16 दिसंबर तक रिमांड पर भेज दिया था।


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